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संलग्नक सूची
- फोटो
- स्वप्रमाणित घोषणा पत्र
- पार्षद/वार्डेन/ग्राम प्रधान का जाति के बाबत प्रमाण पत्र
- राशन कार्ड की छाया प्रति
पिछड़ी जाति के लिए प्रमाण पत्र प्राप्त करना
जाति प्रमाण पत्र क्या करता है और इसकी आवश्यकता क्यों होती है?
जाति प्रमाण पत्र किसी के जाति विशेष के होने का प्रमाण है विशेष कर ऐसे मामले में जब कोई पिछड़ी जाति के लिए जाति का हो जैसा कि भारतीय संविधान में विनिर्दिष्ट है। सरकार ने अनुभव किया कि बाकी नागरिकों की तरह ही समान गति से उन्नति करने के लिए पिछड़ी जाति को विशेष प्रोत्साहन और अवसरों की आवश्यकता है। इसके परिणाम स्वरूप, रक्षात्मक भेदभाव की भारतीय प्रणाली के एक भाग के रूप में इस श्रेणी के नागरिकों को कुछ लाभ दिया जाता है, जैसा कि विधायिका और सरकारी सेवाओं में सीटों का आरक्षण, स्कूलों और कॉलेजों में दाखिला के लिए कुछ या पूरे शुल्क की छूट देना, शैक्षिक संस्थाओं में कोटा, कुछ नौकरियों में आवेदन करने के लिए ऊपरी आयु सीमा की छूट आदि। इन लाभों को प्राप्त करने में समर्थ होने के लिए पिछड़ी जाति के व्यक्ति के पास वैध जाति प्रमाण पत्र होना जरूरी है।
कानूनी ढांचा
भारतीय संविधान के अधिनियम १९९४ की अनुसूची के अनुसरन में पिछड़ी जाति की सांविधिक सूची अधिसूचित की गई। इन सूचियों को समय समय पर परिवर्तित। संशोधन/सम्पूरक किया गया। राज्यों के पुनसंगठन पर पिछड़ी जाति सूची (परिवर्तन) अधिनियम १९९४ (यथा संशोधित) की अनुसूची २ से प्रवृत्त हुआ। इसलिए पिछड़ी जाति की सूची के संबंध में कुछ अन्य आदेश व्यष्टि राज्यों में प्रवृत्त हुए।
जाति प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए आपको क्या करने की आवश्यकता है?
आवेदन प्रपत्र ऑनलाइन या शहर/नगर/गांव में स्थानीय संबंधित कार्यालय में उपलब्ध होता है, जो सामान्यता एसडीएम का कार्यालय (सब डिविज़नल मजिस्ट्रेट) या तहसील या राजस्व विभाग होता है। यदि आपके परिवार के किसी भी सदस्य को पहले जाति प्रमाण पत्र जारी करने के पहले स्थानीय पूछताछ की जाती है। न्यूनतम निर्दिष्ट अवधि तक आपके अपने राज्य में निवास का प्रमाणप एक वचन पत्र जिसमें यह उल्लेख हो कि आप पिछड़ी जाति के हैं और आवेदन के समय विशिष्ठ अदालती स्टैम्प शुल्क अपेक्षित होते हैं।
अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए प्रमाण पत्र प्राप्त करना
कानून द्वारा यथा पारिभाषित अनुसूचित जनजाति
अनुसूचित जनजाति भारत के विभिन्न राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों में पायी जाती है। स्वतंत्रता के पहले की अवधि में संविधान के अधीन सभी जनजातियों को ''अनुसूचित जनजाति'' के रूप में समूहबद्ध किया गया था। अनुसूचित जनजाति के रूप में विनिर्दिष्ट करने के लिए अपनाए गए मानदंडों में निम्नलिखित शामिल हैं: निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में पारम्परिक रूप से निवास करना। विशिष्ट संस्कृति जिसमें जनजातिय जीवन के सभी पहलू अर्थात भाषा, रीति रिवाज, परम्परा, धर्म और अस्था, कला और शिल्प आदि शामिल हैं। आदिकालीन विशेषताएं जो व्यावसायिक तरीके, अर्थव्यवस्था आदि को दर्शाता है। शैक्षिक और प्रौद्योगिकीय आर्थिक विकास का अभाव। राज्य विशेष/संघ राज्य क्षेत्र विशेष संबंधी अनुसूचित जनजाति का विनिर्देशन संबंधित राज्य सरकार के साथ किया गया। इन आदेशों को बात में परिवर्तित किया जा सकता है यह संसद के अधिनियम द्वारा किया जाता है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 342 के अनुसार संबंधित राज्य सरकार के साथ परामर्श करने के पश्चात राष्ट्रपति में अब तक 9 आदेश लागू किए हैं जिनमें संबंधित राज्य और संघ राज्य क्षेत्रों के संबंध में अनुसूचित जाति को विनिर्दिष्ट किया गया है।
जनजाति प्रमाण पत्र क्या है और इसकी आवश्यकता क्यों होती है?
भारतीय संविधान में उल्लिखित विनिर्देशन के अनुसार जनजाति प्रमाण पत्र किसी के अनुसूचित जनजाति होने का प्रमाण है। सरकार ने अनुभव किया कि बाकी नागरिकों की तरह समान गति से उन्नति करने के लिए अनुसूचित जनजातियों को विशेष प्रोत्साहन और अवसरों की आवश्यकता है। इसके परिणाम स्वरूप, रक्षात्मक भेदभाव की भारतीय प्रणाली के भाग के रूप में इन श्रेणी के नागरिकों के विशेष लाभ की गारंटी दी गई है, जैसा कि विधायिका में और सरकारी सेवा में सीटों का आरक्षण स्कूलों और कॉलेजों में दाखिला के लिए कुछ अंश पूरे शुल्क की छूट, शैक्षिक संस्थाओं में कोटा, कुछ नौकरियों आदि के लिए आवेदन करने के लिय ऊपरी आयु सीमा में छूट देना। इन लाभों को लेने में समर्थ होने के लिए अनुसूचित जनजाति के नागरिक के पास वैध जनजाति प्रमाण पत्र का होना जरूरी है।
जनजाति प्रमाण पत्र के लिए आवेदन कैसे करें
राष्ट्रपति के अधिसूचित आदेशों में सूचीबद्ध जनजाति के लोग जनजाति प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकते हैं। कुछ राज्यों में जनजातीय विकास विभाग कुछ ऑनलाइन सुविधाएं मुहैया कराते हैं जैसा कि संबंधित आवेदन प्रपत्र को डाउनलोड करना, जनजातीय कल्याण योजना का ब्यौरा आदि अपने वेबसाइट कराते हैं।