क्यों चुकाना पड़ता है प्रॉपर्टी टैक्स?
स्थानीय निकाय इलाके में साफ-सफाई, पानी की सप्लाई, लोकल सड़कों का रखरखाव, ड्रेनेज और अन्य सुविधाएं मुहैया कराता है। म्युनिसिपल संस्थाएं जो सुविधाएं लोगों को मुहैया कराती हैं, उसका राजस्व प्रॉपर्टी टैक्स से आता है। यह स्थानीय निकायों के लिए राजस्व का बड़ा स्रोत है। अगर आप प्रॉपर्टी टैक्स नहीं चुकाते तो स्थानीय निकाय आपको पानी का कनेक्शन और अन्य सुविधाएं देने से इनकार कर सकता है। साथ ही बकाया राशि पाने के लिए वह कानूनी एक्शन भी ले सकता है।
प्रॉपर्टी टैक्स चुकाने की अहमियत
निकाय संस्था के हालिया प्रॉपर्टी वैल्यूएशन से प्रॉपर्टी टैक्स कैलकुलेट किया जाता है। सिर्फ प्रॉपर्टी के मालिक को ही प्रॉपर्टी टैक्स चुकाना होता है। अगर आप किरायेदार हैं तो फिक्र करने की कोई जरूरत नहीं। प्रॉपर्टी विवाद के मामले में प्रॉपर्टी टैक्स की रसीदें प्रॉपर्टी की ओनरशिप साबित करने में अहम भूमिका निभाती हैं। नतीजन, जब आप कोई प्रॉपर्टी खरीदते हैं तो प्रॉपर्टी टाइटल नगरपालिका के रिकॉर्ड में अपडेट होना चाहिए। हालांकि जब तक पूरी बकाया राशि नहीं चुकाई जाती, नाम नए खरीददार को ट्रांसफर नहीं किया जा सकता। अगर नगरपालिका के रिकॉर्ड्स में नाम अपडेट नहीं है तो पुराने मालिक का नाम ही टैक्स रसीद में दिखाई देता रहेगा।
नगरपालिका के रिकॉर्ड में अपने नाम पर प्रॉपर्टी रजिस्टर कराते वक्त आपसे संपत्ति का स्वामित्व साबित करने वाले दस्तावेज मांगे जाएंगे। अपने नाम पर प्रॉपर्टी अपडेट कराने के लिए आपको बैनामे की कॉपी, सोसाइटी से क्लीयरेंस, भरा हुआ आवेदन, फोटो और अड्रेस प्रूफ, पिछली बार भुगतान की गई रसीद की कॉपी दिखानी होगी। लोन लेने के लिए (प्रॉपर्टी के एवज में लोन) भी प्रॉपर्टी टैक्स की रसीद अहम दस्तावेज है। नगरपालिका के रिकॉर्ड्स को अपडेट रखने के लिए वक्त पर प्रॉपर्टी टैक्स चुकाएं। पूजा घर, सरकारी इमारतों, विदेशी दूतावास इत्यादि को प्रॉपर्टी टैक्स से छूट मिलती है। स्वच्छ भूमि भी प्रॉपर्टी टैक्स के दायरे से बाहर होती है।